Monday, 20 December 2021

कविवर बालकृष्ण शर्मा नवीन की विप्लव गायन

 


विप्लव गायन कविवर बालकृष्ण शर्मा नवीन की प्रतिनिधि रचना है। इस में सामाजिक विषमता पर कवि का क्षोभ प्रकट हुआ है।

वे भारतीयों की कायरता रूढिवादिता और अन्धविश्वासों को जड से उखाड फेंकना चाहते है, ताकि वे अंग्रेज-शासन के विरुद्ध उठकर खडे हो सकें।

कवि चाहते है कि शांत रहकर अन्याय सहते रहनेवाले देश का जनगण जाग उठे और क्रांति की पुकार से महारुद्र का सिंहासन हिल उठे, अर्थात् जनता महारुद्र बनकर ऐसा तांडव नृत्य करे कि प्रलय हो जाए तथा शोषण करनेवाली व्यवस्था पुरी तरह नष्ट हो जाए।

यहाँ कवि ने अपने समकालीन कवियों का आह्वान किया है कि वे इस शोषण और अन्यायपूर्ण व्यवस्था को छिन्न-भिन्न करने की प्रेरणा देनेवाले गीत सुनाएँ।

नवीन जी यह मानते है कि यह व्यवस्था इतनी जड हो चुकी है कि इसे समाप्त करके ही नई व्यवस्था स्थापित की जा सकती है।

No comments:

Post a Comment

10 DIVINE FLOWERS IN REGIONAL INDIAN LITERATURE — PART 1: LOTUS (KAMAL / THAMARAI)

   The lotus, known as Kamal in Sanskrit and Thamarai in Tamil, is one of the most celebrated flowers in Indian art, culture, and literature...