Blogchatter की Bloghop के prompt दो में से एक को
चुनकर हिन्दी में लिखकर समर्पित करने की सोची। इस का परिणाम है यह Blog post. जिस में, मैं लिखने से ज्यादा, पढना पसंद करती हूं यानि लिखने और पढने में,
मैं पढने को ही चुनूँगी। पढने में बडा मजा
है और लिखने से पढना आसान भी है।
किताबों से जो
ज्ञान हम प्राप्त करते हैं, जीवन के अनुभव के साथ मिलाकर ही लिख सकते हैं। मेरा
मानना है कि पढने से ही पहला अनुभव प्राप्त होता है।
पढना किसी जगह
पर भी किया जा सक्ता है। जैसे कि रैल-गाडी, बस, हवाई जहाज, पार्क और बीच,
पुस्तकालय, छतपर और जहाँ कहीं भी आपका मन करें।
किताब हाथ में न
होने पर भी, बगलवाले के पत्रिका (न्यूज्पेपर), मैगसिनस् उदार लेकर भी पढ लेते हैं।
सफर के समय दिखता हुआ पोस्टेर्स, नोटीस् बोर्डस्, अडवेर्टैंस्मेंटस् और छोडी हुई
पर्चियां, और मजेदार खबरें तो समोसा या कछोरी को बांधा हुआ कागज में पढते हैं।
पढने से बहुत
कुछ सीखते हैं और वह जिन्दगी में काम आता हैं। लिखने केलिए पढना बहुत जरूरी है।
पढने केलिए आज कल तरह तरह के माध्यम है। जिस के सही इस्तेमाल से हम कहीं लाभ उठा
सकते हैं। सबसे ज्यादा पढने से खुशी और मन को शांति मिलती है।
मैं, पढने और
लिखने के बीच पढने को ही मैं प्रथम स्थान देती हूं।
आन से पढो या शान से पढो
पढो तो सही तो जानोगे जिन्दगी का स्वाद।
धूप में पढो या बारिश में पढो
पढो तो पता चलें दुनिया के रंग।
दिन में पढो या रात को पढो
पर दिन में एक बार तो पढो।
मन पसंद पढो
मन हलका होजायेगा।
प्यार से पढो प्यार से लिखो
सीखो, जानो, जशनकरो।
हमेशा Bloghop के संग रहो
(This blogpost is a part of Blogchatters' Blog Hop)
{Prompt: If you had to choose between reading or writing.}
Such a beautiful poem!
ReplyDeleteThanks for reading the blogpost
DeleteVery nice to project your feelings
ReplyDeleteThanks for stopping by
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