पुस्तक के चित्र के अनुसार बाँसुरी की मधुर वाणी, शंख के नाद जैसे सुन्दर कविताएँ उपलब्ध हैं।
सुनिल पाटिल जी की कविताओं का संग्रह - उद्घोष सरल
और सुबोध है। सुनिल पाटिल जी, हिन्दी
के प्राध्यापक के रूप में चेन्नई के सुप्रसिद्ध कलाशाला में कार्य कर रहे है। उन्हें हिन्दी के अलावा मराठी, तमिळ और
अंग्रेजी भाषाओं का ज्ञान है। वे कई
सम्मानों से सम्मानित हुए है। उद्घोष में सुनिल
पाटिल जी अपने आपको कवि के रूप में सक्षम से प्रस्तुत करते है। उद्घोष में 46 कविताएँ समा हैं।
कवि अपने कविताओं के द्वारा समाज को नारी शक्ति को सम्मान करने के लिए, जीवन में प्रेरणापूर्वक रहने केलिए, देश के हित में शोचने केलिए उद्घोष करते हैं। कवि स्त्री के विभिन्न पात्रों के बारे में स्पष्ट शब्दों में कविता पेश करते हैं।
इस किताब में सडक नामक कविता में, कवि सडक की आन्तरिक-भावना को शब्दों का रूप देने में सफल हुए हैं।
दानवीर टाटा जी नामक कविता में भारत के सर्वश्रेष्ठ व्यवसायी को याद करते हुए
उन का गुणगान करते हैं।
मत हो मानव तू उदास - इस कविता
के माध्यम से कवि, सारे मानव समाज को आनन्दित रहने केलिए निवेदन करते
हैं।
इस प्रकार उद्घोष में कवि जीवन
के कई मुख्य अंशों पर अपनी राय और भावनाओं को पाठकों के सामने कविता के रूप में रखते हैं।
पढिए, प्रेरित हु इए।
No comments:
Post a Comment