मानव जीवन में प्रकृति का साथ, पहले से लेकर आखिर तक लगा रहता
है। प्रकृति मानव जीवन को आसन बनाने के
लिए, क्या कुछ नही करता या देता। लेकिन
मानव प्रकृति की ओर तोडा ज्यादा ही निर्लक्ष्य रहता है। चाहे ओ पेड, पौधे, पशु-पक्षि, जल, हवा इत्यादि। इनका ख्याल रखना मानव का एक प्रथम कर्तव्य है। हमेशा न ही सही गर्मीयों के मौसँ में
पशु-पक्षियों का कदर करना या उनका ख्याल रखना अत्यावश्यक है। इस मौसँ में धूँप ज्यादा होने से छाँव और प्यास
भूजाने के लिए पानी उपलब्ध करवायें तो लाभ दायक होगा।
गर्मीयों में
पशु-पक्षियों के लिए .............
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छत पर, खिड़कियों के पास, छज्जा में (Balcony) पानी की सुविधा बनाए।
ऊँची बरतनों में या बाल्टीयों में पानी भर के रखे।
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साथ ही होसके तो, धाने, चावल या बचे कुचे, कुछ खाने की चींजे रखे।
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घर के पालतू जानवरों को छाँव में बान्ध के रखे और ज्यादा देर उन्हे भूखा ना रखे
। या
अकसर पानी या दूध पीलाए।
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शाम को या सवेरे ही बाहर घुमाये।
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वक्त मिलने पर उन्हे नेहलाए। बहुत
दिनों तक न यूही रखे।
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उनके बच्चे हों तो उनको पास ही रहने दे।
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बीमार होने पर डाक्टर को तुरन्त बुलाए।
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घर के पास पेड होतो, उन्हे घनें ही रहने दे, डालियों को मत काटे, वह पक्षियों
को टेहरने के लिए एक जगह बनेगा, साथ ही घोंसला बनाने में मददगार होगी।
इन्सानों के लिए भी छाँव पाना आसान होगा।
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छत पे बक्सों के द्वारा घोंसला जैसे नमूना रखने से पक्षियां निडर होके तोडे
देर आराम से ठहरेंगे।
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पत्तों से कुटीर बनाने से कुछ
पक्षियों के लिए आसरा बनेगा।
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