आज हिन्दी दिवस है। देश
भर में कहीं कार्यक्रम आयोजित किये जा रहें हैं। हिन्दी भाषा सीखने वाले और सिखाने वाले,
हिन्दी भाषा के प्रेमी सभी को हिन्दी दिवस की हार्दिक शुभ-कामनाएँ। आइए छंद बातें
हिन्दी और हिन्दीदिवस के बारें में जान लें:
दुनिया की कितनी भाषाएं हैं इसका ठीक ठीक उत्तर देना संभव नहीं है। एक अनुमान के अनुसार दुनिया में कुल भाषाओं की संख्या 6809 है, इनमें से 90 फीसदी भाषाओं को बोलने वालों की संख्या 1 लाख से भी कम है। लगभग 200 से 150 भाषाएं ऐसी हैं जिनको 10 लाख से अधिक लोग बोलते हैं। लगभग 357 भाषाएं ऐसी हैं जिनको मात्र 50 लोग ही बोलते हैं।
आज दुनिया भर में बोली
जाने वाली सभी भाषाओं में हिंदी
तीसरी सबसे ज्यादा बोली
जाने वाली भाषा है। वर्ल्ड लैंग्वेज डेटाबेस के 22वें
संस्करण इथोनोलॉज में बताया गया है कि दुनियाभर की 20 सबसे ज्यादा बोली जाने वाली भाषाओं में 6 भारतीय भाषाएं हैं जिनमें हिंदी तीसरे स्थान पर है।
भाषाएं भारत में बोली और समझी जाती हैं। हिन्दी और अंग्रेजी केंद्र सरकार की अधिकारिक भाषा है इसलिए आपको सभी सरकारी काम हिन्दी और इंग्लिश भाषा में देखने को मिलते है।
हिन्दी की अनेक बोलियाँ (उपभाषाएँ) हैं, भारत में कुल 18 बोलियाँ हैं, जिनमें अवधी, ब्रजभाषा, कन्नौजी, बुंदेली, बघेली, हड़ौती,भोजपुरी, हरयाणवी, राजस्थानी, छत्तीसगढ़ी, मालवी, नागपुरी, मैथिली, खोरठा, पंचपरगनिया, कुमाउँनी, मगधी आदि प्रमुख हैं। इतनी महिमावाली भाषा के लिए एक दिन या एक उत्सव मनाना आवश्यक है। इस भाषा को
देश के संविधान ने स्वीकार करने के बाद् हिन्दी
दिवस प्रत्येक वर्ष 14 सितम्बर को मनाया जाता है। 14 सितम्बर 1949 को संविधान सभा ने यह निर्णय लिया कि हिन्दी भी केन्द्र सरकार की आधिकारिक भाषा होगी। संविधान सभा ने देवनागरी लिपी में लिखी हिन्दी को अंग्रेजों के साथ राष्ट्र की आधिका-रिक भाषा के तौर पर स्वीकार किया था। 14 सितंबर 1949 को संविधान सभा ने एक मत से निर्णय लिया कि हिंदी ही
भारत की राजभाषा होगी। इसके
बाद इस ऐतिहासिक दिन को याद रखने के लिए देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल
नेहरू की सरकार 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाने का फैसला किया। तो एति हिन्दी भाषा और हिन्दी
दिवस की विशेषताएँ।
हिन्दी की महिमा
आज
है हिन्दी दिवस
राष्ट्र
भाषा का जन्म दिवस
भाषा
है शक्ति
जो
देती है हमें जागृति
देश
के कही कवियोँ है हिन्दी की
जिन्हों
ने शब्दों से भारत की आरती की
कबीर,
रहीम, तुलसी हो
या
प्रेमचन्द, पंत, दिनकर हो
या
गुप्त, वर्मा या गुलेरी
एक
एक ने हिन्दी की मान बडाई
लोगों
को भाषा की रुची दिखाई
सब
में सीखने, सिखाने की आशा जगाई
हिन्दी
भाषा की महत्त्व सुनाई
हिन्दी
है सरल, स्पष्ट और सजीव
हिन्दी
है मीठा, मधुमय और मनोहर
हिन्दी
है ज्ञानस्फूर्ति, ज्ञानप्राप्ति और ज्ञानवर्धक
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