प्रेमचंद जी का जन्म वाराणसी के समीप लमही नामक गाँव में हुआ था। उन की कहानियों का केंद्र भाव, राष्ट्रीय जागरण और समाज सुधार था। निर्मला, गोदान, प्रेम की वेदी आदि प्रेमचंद जी की मुख्य रचनाएँ हैं।
इस नादान दोस्त कहानी में बच्चों की तीव्र जिज्ञासा, सहायता की
भावना, स्वाभाविक आशंकी और भय आदि का बहुत ही अच्छा वर्णन है। कहानी घटना प्रधान है। कहानी के प्रमुख पात्र
केशव और श्यामा है।
केशव के घर की कार्निस के
ऊपर एक चिडिया ने अंडे दिये थे। केशव और उसकी बहन श्यामा दोनों को अंडे देखने और
उन्हें सुरक्षित जगह पर रखने की इच्छा हुई। बहन की मदद से गद्दीदार बिस्तर पर अंडे
को रखने और साथ साथ
पानी की व्यवस्था भी हुई। दोपहर के बाद जब श्यामा ने कार्निस को देखा तो अंडे नीचे गिर कर टूट गये थे। सारी बाते जानने के बाद, माँ ने उन दोनों को समझाया है कि छूने से चिडिये के अंडे गंदे हो जाते है। चिडिया फिर उन्हे नही सेती। ये बात जानने के बाद, बच्चे रो रो कर पछताने लगे।
कथावस्तु से कहानी का विकास होता है, बाल- मनोविज्ञान ही इस कहानी की कथावस्तु है। कहानी को आगे बढाने में संवाद का अपना विशेष महत्व होता है। यह एक सामाजिक कहानी है। कहानी का शीर्षक नादान दोस्त उचित है। बच्चों की इच्छा और उनकी सवालों का जवाब न मिलना आदि पर ध्यान दिलाना, लेखक का उद्देश्य है। कहानी की भाषा सरल और मुहावरेदार है।
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