पंचवटी खंडकाव्य में मैथिलीशरण जी ने श्रीराम को मर्यादा पुरुषोत्तम के रूप में चित्रित किया है।
राज्याभिषेक और वनवास की आज्ञा को वे समान रूप से स्वीकार करते है। प्रातः काल होने पर पर्णकुटी के द्वारा पर श्रीराम एक दिव्य श्याम शोभा की तरह प्रकट होते है।
इसी छवि से और उनके मृदु भाषण पर मुग्ध होकर शूर्पणखा राम पर अनुरक्त होती है।
उस समय राम बडी चतुराई के साथ परिस्थिति को संभालते है।
पंचवटी के राम के अनुसार सुख दुःख सब समयाधीन है।
सुख आने पर हर्षित न हो और दुःख में दीन भी न बने। संकट आने पर उसका डटकर सामना करना चाहिए।
इस तरह श्रीराम का चरित्र हमें जीवन में सुख दुःख को धैर्य के साथ स्वीकार करने का पाठ देता है। राम का जीवन हमेशा हर एक मोड पर धर्म और निष्ठा के साथ चलने का प्रेरणा देता है।
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