भारतीय समाज में नाारी का स्थान महत्त्वपूर्ण है।
नारी-पुरुष की जीवन-संगिनी है। सृष्टि का मूल है।
यह सबसे बडा सत्य है कि पुरुष और नारी जीवन रूपी रथ के दो पहिए है। दोनों एक-दूसरे के सहयोगी है।
युद्धभूमि और संकट के समय में भी नारियों पुरुषों का साथ देती थी।
आक्रमण और आक्रमणकारियों के भय के कारण पर्दा-प्रथा का आरम्भ हुआ।
आज नारी सभी क्षेत्रों में पुरुषों के साथ महत्त्वपूर्ण भूमिका अदा कर रही है।
आधुनिक बनने के मोह-पाश में कुछ भावों से वंचित होती जा रही है।
भारतीय नारी का आदर्श सर्वदा अनुकरणीय है।
यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवताः इस वाक्य को हमारे देश में पूरी तरह से माना जाता है।
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