वर्तमान युग विज्ञापन का है। प्रत्येक वस्तु की बिक्री के लिए विज्ञापन की आवश्यकता होती है॥
विज्ञापन से तात्पर्य उन साधनों से है, जिसके द्वारा वस्तु से संबंधित सूचना ग्राहकों तक पहुँचायी जाती है। यह माँग पैदा करने का उपाय है। यह ग्राहकों को न केवल सूचना मात्र देता, अपितु उनके मन में उसे खरीदने की इच्छा भी पैदा करता है॥
विज्ञापन का उपयोग तीन तरह से किया जाता है-माँग उत्पन्न करना, उसे स्थायी बनाये रखना तथा उसकी माँग बढाना। उत्पादक विज्ञापन के माध्यम से पहले उसकी उपयोगिता बताकर माँग की वृद्धि करता है। उस के बाद उस माँग को स्थायी रखने का प्रयास करता है। जब जनता उस वस्तु का महत्त्व समझ लेती है तो ग्राहकों तक उसे पहुँचाने के लिए विभिन्न प्रकार के उपायों को काम में लाते हैं॥
समाचार-पत्र एवं पत्रिकाएँ, स्मारिकाएँ, रेडियो, दूरदर्शन, फिल्म तथा स्लाइड्स, बस, रेल तथा अन्य वाहन दैनिक उपयोग की वस्तुएँ-जैसे दियासलाई, डाक-कार्ड, बडे बडे साइन बोर्ड तथा दीवारें, डाक द्वारा ग्राहकों को भेजी जानेवाली सामग्रियाँ आदि विज्ञापन के प्रमुख साधन माने जाते हैं॥
विज्ञापन से व्यक्ति का निजी लाभ होता है। विज्ञापन के माध्यम से व्यापारी लोग अपनी सारी असुविधाओं से अपने को बचा लेते हैं। विज्ञापन के द्वारा अनेक पत्र-पत्रिकाओं का पोषण होता है, जिससे साहित्य-कला की वृद्धि होती है॥
विज्ञापन मानव-जीवन का दैनिक अंग
बन गया है। विज्ञापन-बाजियों को सामान्य जनता को धोखा देनेवाले विज्ञापन नहीं देना
चाहिए। लोगों को भी झूठे विज्ञापनों पर विश्वास करके, अपने पैसे को नष्ट नहीं करना
चाहिए। यदि विज्ञापनों का प्रयोग उचित ढंग
से किया जाए तो समाज को अनेक तरह के लाभ प्राप्त हो सकते हैं॥
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