सूरज की रोशनी
से हमारा सुबह शुरु होता है। सूरज –
गर्मियों के मौसम में अधिक रोशनी और गर्मि देता है। लम्बी दिन और छोटी राते। सूरज से ही मानव जीवन में रात और दिन होता
है। सूरज को भगवान के रूप में पूजा किया
जाता है। सूरज के बिना मानव जीवन में
उजाला ही न ही।।
सूर्य-नारायण के
नाम से कही मन्दिरों में भगवान उपस्थित है।
बहुत पुराणा और प्रसिद्ध मन्दिर है कोणार्क का सूर्यदेव मन्दिर। आइए जाने इस
मन्दिर का निर्माण और पौराणिक गाथ।।
कोणार्क मन्दिर ओडिसा राष्ट्र में है। कोणार्क को अर्कक्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। ब्लैक पगोडा नाम से भी यह क्षेत्र विश्व भर में
प्रसिद्ध है। तेरा शताब्दी
में इस मन्दिर का निर्माण किया गया है। इस
निर्माण में धर्मपद नाम का बारह साल का एक बालक का बडा योगदान है।।
धर्मपद ने अपना पिता विशुमहाराणा को एक बार भी
नही देखा। इन बारह सालों में वह अपनी माँ
से अपने पिताजी से मिलने की बात करता था।।
राजा द्वारा कोणार्क मन्दिर निर्माण में लगे
हैं विशुमहाराणा । इस बात को बार बार समझाती
थी उस की माँ। लेकिन पाठशाला में उसे सारे मित्र चिडाते थे कि उस के
पिता नही रहे। इस बात से वह बहुत दुःखी हो
कर अपनी मा से निवेदन करता है कि वह अपने पिता से एक बार मिलना चाहता है।।
धर्मपद अपनी माँ की अनुमति के साथ अपने पिता से मिलने का
निश्चय कर लेता है। अपनी माँ से पूछता है कि अपने अपको पिता के
सामने कैसे पेश करूं और क्या परिचय दूं ?
तब उस की मा ने कहा कि घर के पिछवाडे से बदरि वृक्ष के फल ले जाओ तो, वह
पहचान जाएंगे।।
धर्मपद ने अपना यात्रा प्रारम्भ किया और शाम के समय थक कर एक
जगह विश्राम करने के लिए बैठा, तो वहां दो लोग आपस में बात कर रहे थे कि अगर कल तक
श्रमिका (मजदूर) कोणार्क मन्दिर का शिखर न पूरा कर सके, तो राजा सब के सर काट
देंगे।। यह बात सुनते ही
धर्मपद मन्दिर की तरफ चल पडा। वह अपनी माँ से शिल्पकला के बारे में, उस की
विशिष्टता, कला कौशल सुन चुका था। मन्दिर
के पास पहुंचते कि वह सीधा मन्दिर के ऊपर चढा और शिखर निर्माण किया।।
राजा को इस बात
का पता न चले कि श्रमिका असफल रहे और किसी ओर ने इसका निर्माण किया, धर्मपद मन्दिर
शिखर से सीधा समुद्र में कूद गया। अपना
प्राण त्याग दिया कि अपने पिता के साथ सारे श्रामिक बच जाए।। इस कथा को
कोणार्क के मन्दिर के दीवारों में लिखा गया है। कोणार्क हो कर मन्दिर की शिल्पकला
को देखें और सूर्यभगवान का दर्शन करें।।
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