आँसू जयशंकर प्रसाद द्वारा रचित प्रसिद्ध गीतिकाव्य है, जिस में व्यक्तिगत
अनुभूतियों के प्रकाशन पर विशेष बल है॥
आँसू के छन्दों में अतीत प्रेम की स्मृतियों की पीडा को कवि ने प्रतीकात्मक
शब्दावली में व्यक्त किया है। इस कविता का बडा हिस्सा पुरानी यादों पर आधारित है॥
प्रिय का सौंदर्य आँखों को सुख पहचानेवाले प्रकाश के समान था, डिस से कवि के
हृदय में प्रेम का दीपक जल उठा था॥
परंतु अब प्रिय के न रहने पर वहाँ केवल धुएँ की लकीरेंरह गयी हैं। प्रिय की
स्मृति अब हृदयरूपी आकाश में इन्द्रधनुष की तरह विद्यमान है।
"अम्बर असीम अन्तर में
चंचल चपला-से आकर
अब इन्द्रधनुष की आभा
तुम छोड गये हो जाकर"॥
इस काव्य में बार-बार कवि ने अपने सुखमय अतीत और प्रेममय प्रियतम को याद किया
है। यह काव्य प्रसाद जी की अत्यंत विशिष्ट रचना है।
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