भारतभूषण
अग्रवाल प्रथमतः कवि थे, किंतु उन्होंने नाटक, उपन्यास, निबंध, आलोचना, बालसाहित्य
आदि गद्य का विधाओं मे लिखकर अपनी प्रतिभा को प्रमाणित किया। वे प्रयोगवाद के प्रमुख कवि थे। उन्होंने अपने
व्यंग्य और हास्य से परिपूर्ण मुक्तक लिखकर
हिन्दी के काव्य-साहित्य को एक नई विधा दी। मौलिक लेखन के अलावा
रवीन्द्रनाथ ठाकुर के नाटकों और कविताओं का सुन्दर अनुवाद करके अपनी अनुवादकला का
सहज परिचय दिया। उनकी प्रमुख रचनाओं मे छवि के बंधन, जागते रहो, तारसप्तक, सहयोगी
संकलन, मुक्तिमार्ग, ओ अप्रस्तुत मन, कागज के फूल, अनुपस्थित लोग, एक उठा हुआ हाथ
आदि प्रमुख हैं॥
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