Sunday, 15 August 2021

रानी की महिमा




 आज स्वतन्त्रता दिवस के शुभ अवसर पर, राष्ट्रभाषा हिंदी के महान कवयित्री की रचना में, भारत की स्वतन्त्रता संग्राम की एक वीर नारी के बारे में जान लें।

"झाँसी की रानी" कवयित्री सुभद्राकुमारी चौहान की अत्यंत लोकप्रिय और प्रेरणादायी कविता है। इस में कवयित्री ने 1857 के प्रथम स्वाधीनता संग्राम की महान  बलिदानी झाँसी की रानी लक्ष्मीबाई की जीवनगाथा को रोचक ढंग से प्रस्तुत किया है।  ओज से भरी पूरी इस वीर रस की कविता में सरल, सहज, प्रवाहपूर्ण लोकशैली के दर्शन होते है। कविता का आरंभ 1857 के भारतव्यापी जागरण की चर्चा से होता है। झाँसी के राजा गंगाधर राव निस्सन्तान ही स्वर्गवासी हो गए और रानी लक्ष्मीबाई को कमजोर समझकर ईस्ट् इंडिया कंपनी ने झाँसी को छल और बल से हडपने की योजना को साकार रूप दे दिया। परन्तु रानी कमजोर नही थी। उन्होने अत्यंत वीरतारपूर्ण युद्ध कौशल का प्रदर्शन किया। अनेक मोर्चा पर विजय प्राप्त करती हुई रानी का प्रशिक्षित घोडा भी

इस संग्राम में स्वर्ग सिधार गया। नये घोडे के एक स्थान पर अड जाने के कारण अंततः अकेली रानी अनेक शत्रुओं की बीच घिर गयी और आखिरी साँस तक लडती हई रानी ने वीर गति प्राप्त की। कवयित्री  ने झाँसी की रानी को तेज का अवतार और साक्षात् का नारी रूप कहा है।  




No comments:

Post a Comment

THE JOY OF REMEMBERING - AND THE SILENCE THAT FOLLOWS

     Sending birthday and anniversary messages to friends and relatives has always been a quiet joy I inherited from my parents. They taug...