दक्षिण भारत के
कही जगाहों में आज कृष्णाष्टमी यानि कृष्ण कण्णैया का, राधेशाम का , द्वारकानाथ
का, नन्हें गोपाल का जन्मदिवस मनाया जा रहा है॥
आज का दिन
कृष्ण के भक्त उपवास रख के घर में मिटाईयां बनाते हैं। कृष्ण का जन्मोत्सव अधिकतर
घरों में शाम या रात को मनाया जाता है॥
बालकृष्ण के पाओं के निशान घर के प्रथमद्वार से ले कर पूजाघर तक रंगोली के माध्यम से किया जाता है। पूजा-पाठ, भजन-कीर्तन के साथ समारोह शुरू हो कर मिटाईयां, फल, दूध, मक्खन, दही, पोहा, दोशा आदि भोग के रूप में चडाने के बाद पूजा समाप्त होता है॥
तासामाविरभूत् शौरिः स्मयमानमुखाम्बुजः।
पीताम्बरधरः स्रग्वी साक्षात् मन्मथमन्मथः॥
पीताम्बरनाथ जी के लिए पीले रंग के चींजों से बनाई गई एक रंगोली।
इस में पीले रंग के फूल, चन्दन,पिसा हुआ हल्दी, हल्दी की
घटियां, पीले रंग का ऊर्ध्वपुण्ड्र का घटियां
और पीला चावल आदि का प्रयोग किया गया है। ये पीताम्बरनाथ जी को समर्पित है॥
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